युद्धस्य अर्थः

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥


धन, मान, प्राण, परिजन को हथेली पर लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने होता है। दुर्योधन भी युद्ध के मोर्चे पर था या नहीं? एअर कंडिशनड कमरे में बैठा हुआ था क्या?

हमारी युद्ध की परम्परा देखिए। रावण भी युद्ध के मोर्चे पर, तो रामभद्र भी युद्ध के मोर्चे पर — जाके पाँव ना फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई!

ये रक्षामंत्री गृहमंत्री आदि क्या जाने सैनिकों की दशा, जो लुंजपुंज हो जाते हैं, मार दिए जाते हैं। जिनका आँसू पोछने वाला परिवार का कोई नहीं रहता है।

सत्यमेव जयते नानृतम्। सत्यमेव जयते नानृतम्।।

जिसके सत्य का बल होता है वो अंत में विजयी होता है।

श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य
— श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज।
इतिहास किनका बनता है?
https://x.com/harghargurukul/status/1941834931891740759?s=46