क्षत्रिय देशोंका सङ्घ

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते

जय गणेश
श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


हिन्दूराष्ट्र भारत क्षत्रिय देशोंका सङ्घ हो। ये सभी देश सनातन सिद्धान्तका पालन करते हों। रक्षा, वित्त और आधारभूत संरचनाके कार्योंमें सभी देशोंमें परस्पर सहयोग हों।

सुरक्षा व्यवस्था, शासन तथा न्याय क्षत्रियोंके अधीन हो। शिक्षा, धर्म और मठ-मन्दिर ब्राह्मणोंके द्वारा संचालित हों। व्यापार, कृषि और गोरक्षा के प्रकल्प वैश्योंके तथा समाजके सभी धन-अर्जन और सेवाके प्रकल्प शूद्रोंके अधीन हो।

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जब आप राजतंत्र को तोड़ने की क्षमता रखते थे, तो उन राजवाडों को बुला कर के एक सार्वभौम राजा बना देने की क्षमता आपमें थी या नहीं?

— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी के “वक्तव्य” से
मित्रैः सह साझां कुर्वन्तु