हिन्दूराष्ट्र उद्घोष

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


हम हिन्दूराष्ट्र बनाएँगे,
हम भारत भव्य बनाएँगे।


स्वस्तिकचिन्हित सूर्यसमन्वित,
केसरिया ध्वज फहराएँगे।


सबके प्रिय सबके हितकर हम,
जय भारत घोष सुनाएँगे।


इंदुसर से मानसर तक सुन,
हम भारत भव्य बनाएँगे।


अङ्ग बङ्ग और वर्म सिंधु तक,
हम भारत दिव्य बनाएँगे।


सती संत अरु शूरभूमि यह,
हम पावन अलख जगाएँगे।


जय हरि हर शक्ति सूर्य गणपति,
हम पावन शब्द सुनाएँगे।


ब्रह्म अद्वय उल्लास जगत् यह,
निगमागम सार सिखाएँगे।


हम हिन्दूराष्ट्र बनाएँगे,
हम भारत भव्य बनाएँगे।

Hindu Rashtra
हम हिन्दूराष्ट्र बनाएँगे


भारत अखण्ड हो !


गिने चुने वर्षोंमें पाकिस्तान भारत हो, बांग्लादेश भारत हो, चीनके पास खिसकी धरती भारतकी धरती हो, मानसरोवर कैलाश भारतके तीर्थ हों, शक्ति समन्वित सामञ्जस्यके बल पर शीघ्र ही भारत अखण्ड हो। काँची वाले महाभागने एकांतमें कहा — मैंने दूसरोंसे सुना है कि आप भरी सभामें कहते हैं कि गोहत्या बंद हो ? मैंने कहा इतना ही नहीं मैं तो बहुत कुछ कहता हूँ। तो सुनाइए क्या कहते हैं ? मैंने कहा कि गोहत्या बंद हो ! मैं कहता हूँ भरी सभामें भारत अखण्ड हो, गिने चुने वर्षोंमें पाकिस्तान भारत हो, बांग्लादेश भारत हो, चीनके पास खिसकी धरती भारतकी धरती हो, मानसरोवर कैलाश भारतके तीर्थ हों — यह भी मैं कहता हूँ। उन्होंने कहा और सुनाइये ; आप भी सुन लीजिए ताली मत बजाइये। गिने चुने वर्षोंमें पाकिस्तान भारत हो, बांग्लादेश भारत हो, चीनके पास खिसकी धरती भारतकी धरती हो, मानसरोवर कैलाश भारतके तीर्थ हों, शक्ति समन्वित सामञ्जस्यके बल पर शीघ्र ही भारत अखण्ड हो, यह भी मैं कहता हूँ।।

श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य
— श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती महाराजजीके वक्तव्यसे

हम हिन्दूराष्ट्र बनाएँगे