आचारसंहिता
(भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक समुदायके लिये आचारसंहिता)
१. हिन्दुओंमें वेदादि शास्त्रोंके प्रति आस्था, पूर्व जन्म-पुनर्जन्मके प्रति आस्था, ईश्वर एवम् ईश्वरीय अवतार श्रीराम कृष्णादिके प्रति आस्था और अवतार-विग्रह तथा उनके अभिव्यंजक संस्कृति, शिक्षा, रक्षा, समृद्धि और सेवाके केन्द्र मठ, मन्दिरोंके प्रति आस्था सुरक्षित रखना भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक हिन्दू तथा अल्पसंख्यक समुदायका पवित्र दायित्व होगा।
२. गोवंश एवम् गंगादि हिन्दुओंके विश्वपोषक पवित्र मानबिन्दुओंको विनष्ट करने, लांछित करने तथा इनके प्रति हिन्दुओंके हृदयमें परम्पराप्राप्त आस्थाको उच्छिन्न करनेका कोई भी गुप्त या प्रकट प्रयास ना करना भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदायका पवित्र दायित्व होगा।
३. हिन्दुओंकी जनसंख्याको धर्मान्तरण आदिके द्वारा क्षीण करनेका गुप्त या प्रकट कोई भी प्रयास न करना भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक हिन्दू तथा अल्पसंख्यक समुदायका पवित्र दायित्व होगा।
४. उदारताके नामपर शान्तिका उपदेश देकर हिन्दुओंके अस्तित्व और आदर्शपर कुठाराघातरूप सामनीतिके दुरुपयोगका आलम्बन न लेना, शासनतन्त्र तथा सामाजिक कार्यकर्त्ता आदिको अर्थादिके वशीभूत कर धर्मान्तरणकी प्रक्रियाको उत्साहितकर दण्डनीतिका दुरुपयोग न करना तथा फूट डालो और राज्य करोकी कूटनीतिका आलम्बन लेकर भेदनीतिका दुरुपयोग न करना भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक समुदायका पवित्र दायित्व होगा।
५. भारतकी सुरक्षा और अखण्डताके अविरुद्ध और अनुकूल गतिविधियोंको ही प्रश्रय देना, भारतमें निवास करनेवाले प्रत्येक समुदायका पवित्र दायित्व होगा।
६. अन्योंके हितका ध्यान रखते हुए, सबके प्रति स्नेहान्वित रहते हुए अपने अस्तित्व और आदर्शकी रक्षाके प्रति पूर्ण तत्परताका परिचय देना भारतमें निवास करनेवाले हिन्दुओंका पवित्र दायित्व होगा।
— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वती
द्वारा लिखित पुस्तक “नीति और अध्यात्म” पृष्ठ संख्या १६१