जीविका जन्मसे आरक्षित

सनातन धर्म सनातन वर्णाश्रमव्यवस्था हिन्दूराष्ट्र

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


जीविका जन्मसे आरक्षित


Reserved
सनातन धर्ममें सबकी जीविका जन्मसे आरक्षित है। आरक्षणकी वर्तमान परियोजना उभयपक्षकी प्रतिभा और प्रगतिका अवरोधक है। आरक्षणमें अधिकृत तथा सम्भावित व्यक्तियोंकी अपेक्षा स्थानकी अल्पताके कारण वर्तमान आरक्षणका प्रकल्प प्रायोगिक भी नहीं है। अनधिकृत व्यक्ति तथा वर्गमें प्रतिशोधकी भावना व्याप्त है। अत एव आरक्षणकी क्रियान्वित विधा राष्ट्रकी परतन्त्रता तथा विपन्नताका प्रबल प्रकल्प है।”

— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वती द्वारा लिखित पुस्तक “सूक्तिसुधा” पृष्ठ संख्या ३७

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