न ही लक्ष्मी कुलक्रमज्जता
न ही भूषणों उल्लेखितोपि वा।
खड्गेन आक्रम्य भुंजीत:
वीर भोग्या वसुंधरा।।
– पराशरस्मृति
(प्रथम अध्याय, ६७ श्लोक)

ना ही लक्ष्मी निश्चित कुल से क्रमानुसार चलती है और ना ही आभूषणों पर उसके स्वामी का चित्र अंकित होता है।
तलवार के दम पर पुरुषार्थ करने वाले ही विजेता होकर इस रत्नों को धारण करने वाली धरती को भोगते है।
वीर भोग्या वसुन्धरा
क्षात्रधर्म राजधर्म राष्ट्रोत्कर्ष अभियान हिन्दूराष्ट्रश्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः
नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते
