वीर भोग्या वसुन्धरा

क्षात्रधर्म राजधर्म राष्ट्रोत्कर्ष अभियान हिन्दूराष्ट्र

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते

जय गणेश
श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


न ही लक्ष्मी कुलक्रमज्जता
न ही भूषणों उल्लेखितोपि वा।
खड्गेन आक्रम्य भुंजीत:
वीर भोग्या वसुंधरा।।


पराशरस्मृति
(प्रथम अध्याय, ६७ श्लोक)
Maa Lakshmi
ना ही लक्ष्मी निश्चित कुल से क्रमानुसार चलती है और ना ही आभूषणों पर उसके स्वामी का चित्र अंकित होता है। तलवार के दम पर पुरुषार्थ करने वाले ही विजेता होकर इस रत्नों को धारण करने वाली धरती को भोगते है।


मित्रैः सह साझां कुर्वन्तु

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