श्रीगुरुवन्दना

सनातन धर्म

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


श्रीगुरुवन्दना


परमानन्द समुद्रोल्लास निवासैकपूर्णिमा ज्योत्स्ने।
श्रीमत्करपात्र चरणसरसीरूहपादुके वन्दे।।

परमानन्दरूप समुद्रके उल्लासपूर्णनिवासमें एकमात्र पूर्णचंद्रके प्रकाशसदृश श्रीमत्करपात्रमहाभागके युगलपादपद्मोंकी पादुकाओंकी मैं वंदना करता हूँ।।

संसृतिसागर निपतल्लोकसमुद्धार कारणीभूते
श्रीमत्करपात्र चरणसरसीरूहपादुके वन्दे।।

जन्ममृत्युकी अनादिअजस्र परम्परारूप संसृतिसागरमें निमग्नहुए जीवोंके समुद्धार में हेतुभूता श्रीमत्करपात्रमहाभागके युगलपादपद्मोंकी पादुकाओंकी मैं वंदना करता हूँ।।



वन्दे विज्ञाननिस्यन्दां सच्चिदानन्दकंदलीम्।
शंकराचार्यवर्यार्णां वाक्सुधां रसशेवधिम्।।

विज्ञानघन सच्चिदानन्दकन्द शंकराचार्यप्रवरकी रसनिधि – वाक्सुधाकी वन्दना करता हूँ।।

पूर्वाम्नाय पुरीपीठचिदाकाशस्वयम्प्रभा:।
ग़ुरवो निश्चलानन्दा विजयन्ते सतां हृदि।।

चिदाकाशस्वरूप पूर्वाम्नाय – पुरीपीठकी स्वयंप्रभा सत्पुरुषोंके हृदयमें विद्यमान गुरुवर निश्चलानन्द विजयश्री को प्राप्त हैं।।
           
मित्रैः सह साझां कुर्वन्तु

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