हिन्दूराष्ट्र क्रान्तिविन्दु

श्री हरि:
श्रीगणेशाय नमः

नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते

जय गणेश
श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम्।
ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम्॥

"लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी, गणेश, कार्तिकेय,
शिव, ब्रह्मा एवम् इन्द्रादि देवोंको तथा
वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ।।"


व्यक्तिधर्म और राष्ट्रधर्म


राष्ट्रकी सुरक्षा केवल तितिक्षु बन कर सम्भव नहींतितिक्षा व्यक्तिधर्म है, राष्ट्रधर्म नहीं।”
राष्ट्रनायक
राष्ट्रके नायकोंको यह समझना चाहिए कि कर्त्तव्यका निर्णय एकाङ्गी नहीं होता। विपक्षकी गतिविधिको देखते हुए राष्ट्ररक्षाका उपाय ढूँढ़ना और उसे क्रियान्वित करना चाहिए। शूरताके साथ सुशीलता तथा सुशीलताके साथ शूरताका सन्निवेश क्षात्रधर्म है। शूरता, सुशीलता, ओजस्विता तथा अमोघदर्शिता — सम्पन्न व्यक्ति राष्ट्रनायक हो सकता है।”

— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वती द्वारा लिखित पुस्तक “सूक्तिसुधा” (सूक्तिशतक) पृष्ठ संख्या १२
मित्रैः सह साझां कुर्वन्तु