हम हिंदूराष्ट्र बनाएँगे,
हम भारत भव्य बनाएँगे।
स्वस्तिकचिन्हित सूर्यसमन्वित,
केसरिया ध्वज फहराएँगे।
सबके प्रिय सबके हितकर हम,
जय भारत घोष सुनाएँगे।
इंदुसर से मानसर तक सुन,
हम भारत भव्य बनाएँगे।
अङ्ग बङ्ग और वर्म सिंधु तक,
हम भारत दिव्य बनाएँगे।
सती संत अरु शूरभूमि यह,
हम पावन अलख जगाएँगे।
जय हरि हर शक्ति सूर्य गणपति,
हम पावन शब्द सुनाएँगे।
ब्रह्म अद्वय उल्लास जगत् यह,
निगमागम सार सिखाएँगे।
हम हिंदूराष्ट्र बनाएँगे,
हम भारत भव्य बनाएँगे।
हम भारत भव्य बनाएँगे।
स्वस्तिकचिन्हित सूर्यसमन्वित,
केसरिया ध्वज फहराएँगे।
सबके प्रिय सबके हितकर हम,
जय भारत घोष सुनाएँगे।
इंदुसर से मानसर तक सुन,
हम भारत भव्य बनाएँगे।
अङ्ग बङ्ग और वर्म सिंधु तक,
हम भारत दिव्य बनाएँगे।
सती संत अरु शूरभूमि यह,
हम पावन अलख जगाएँगे।
जय हरि हर शक्ति सूर्य गणपति,
हम पावन शब्द सुनाएँगे।
ब्रह्म अद्वय उल्लास जगत् यह,
निगमागम सार सिखाएँगे।
हम हिंदूराष्ट्र बनाएँगे,
हम भारत भव्य बनाएँगे।
