हिन्दूराष्ट्र भारत क्षत्रिय देशोंका सङ्घ हो। ये सभी देश सनातन सिद्धान्तका पालन करते हों। रक्षा, वित्त और आधारभूत संरचनाके कार्योंमें सभी देशोंमें परस्पर सहयोग हों।
सुरक्षा व्यवस्था, शासन तथा न्याय क्षत्रियोंके अधीन हो। शिक्षा, धर्म और मठ-मन्दिर ब्राह्मणोंके द्वारा संचालित हों। व्यापार, कृषि और गोरक्षा के प्रकल्प वैश्योंके तथा समाजके सभी धन-अर्जन और सेवाके प्रकल्प शूद्रोंके अधीन हो।

जब आप राजतंत्र को तोड़ने की क्षमता रखते थे, तो उन राजवाडों को बुला कर के एक सार्वभौम राजा बना देने की क्षमता आपमें थी या नहीं?
— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी के “वक्तव्य” से
सुरक्षा व्यवस्था, शासन तथा न्याय क्षत्रियोंके अधीन हो। शिक्षा, धर्म और मठ-मन्दिर ब्राह्मणोंके द्वारा संचालित हों। व्यापार, कृषि और गोरक्षा के प्रकल्प वैश्योंके तथा समाजके सभी धन-अर्जन और सेवाके प्रकल्प शूद्रोंके अधीन हो।

जब आप राजतंत्र को तोड़ने की क्षमता रखते थे, तो उन राजवाडों को बुला कर के एक सार्वभौम राजा बना देने की क्षमता आपमें थी या नहीं?
— श्रीगोवर्द्धनमठ-पुरीपीठाधीश्वर-श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी के “वक्तव्य” से
